बरकाते नुबुव्वत का इज़हार 03
खतीब बगदादी ने अपनी सनद के साथ येह हदीष रिवायत की है कि हुजूर ﷺ की वालिदए माजिदा हज़रते बीबी आमिना ने फ़रमाया कि जब हुजूरे अक्स ﷺ पैदा हुए तो मैं ने देखा कि एक बहुत बड़ी बदली आई जिस में रोशनी के साथ घोड़ों के हुनहुनाने और परन्दों के उड़ने की आवाज़ थी और कुछ इन्सानों की बोलियां भी सुनाई देती थीं। फिर एक दम हुजूर ﷺ मेरे सामने से गैब हो गए और मैं ने सुना कि एक ए'लान करने वाला ए'लान कर रहा है कि मुहम्मद ﷺ को मशरिक व मग़रिब में गश्त कराओ और इन को समुन्दरों की भी सैर कराओ ताकि तमाम काएनात को इन का नाम, इन का हुल्या, इन की सिफ़त मालूम हो जाए और इन को तमाम जानदार मख़्लूक या'नी जिन्नो इन्स, मलाएका और चरिन्दों व परन्दों के सामने पेश करो!
और इन्हें हज़रते आदम عليه السلام की सूरत, हज़रते शीष عليه السلام की मारिफ़त, हज़रते नूहु عليه السلام की शुजाअत, हज़रते इब्राहीम عليه السلام की खिल्लत, हज़रते इस्माईल عليه السلام की ज़बान, हज़रते इस्हाक़ عليه السلام की रिज़ा, हज़रते सालेह عليه السلام की फ़साहत, हज़रते लूत عليه السلام की हिकमत, हज़रते याकूब عليه السلام की बिशारत, हज़रते मूसा عليه السلام की शिद्दत, हज़रते अय्यूब عليه السلام का सब्र, हजरते यूनुस عليه السلام की ताअत, हजरते यूशु عليه السلام का जिहाद, हज़रते दाऊद عليه السلام की आवाज़, हज़रते दान्याल عليه السلام की महब्बत, हज़रते इल्यास عليه السلام का वकार, हज़रते यहया عليه السلام की इस्मत, हज़रते ईसा عليه السلام का जोहद अता कर के इन को तमाम पैग़म्बरों के कमालात और अख़्लाक़े हसना से मुजय्यन कर दो। इस के बाद वो बादल छट गया।
फिर मैंने देखा कि आप रेशम के सब्ज कपड़े में लिपटे हुए हैं और उस कपड़े से पानी टपक रहा है और कोई मुनादी ए'लान कर रहा है कि वाह वा ! क्या खूब मुहम्मद (ﷺ) को तमाम दुन्या पर क़ब्ज़ा दे दिया गया और काएनाते आलम की कोई चीज़ बाक़ी न रही जो इन के कब्ज़ए इक्तिदार व ग़लबए इताअत में न हो अब मैं ने चेहरए अन्वर को देखा तो चौदहवीं के चांद की तरह चमक रहा था और बदन से पाकीज़ा मुश्क की खुश्बू आ रही थी फिर तीन शख़्स नज़र आए, एक के हाथ में चांदी का लोटा, दूसरे के हाथ में सब्ज़ जुमर्रद का तश्त, तीसरे के हाथ में एक चमकदार अंगूठी थी अंगूठी को सात मरतबा धो कर उस ने हुज़ूर ﷺ के दोनों शानों के दरमियान मोहरे नुबुव्वत लगा दी, फिर हुज़ूर ﷺ को रेशमी कपड़े में लपेट कर उठाया और एक लम्हे के बाद मुझे सिपुर्द कर दिया।
क़िताब :- सीरते मुस्तफा (ﷺ) सफ़ह - 69