बरकाते नुबुव्वत का इज़हार 02

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 खानदानी हालात


   बरकाते नुबुव्वत का इज़हार  02    

  हज़राते अम्बियाए किरामعليه السلام से कब्ले एलाने नुबुव्व  जो ख़िलाफ़े आदात और अक्ल को हैरत में डालने वाले वाकआत सादिर होते हैं उन को शरीअत की इस्तिलाह में "इरहास" कहते हैं और एलाने नुबुव्वत के बाद इन्ही को "मोजिज़ा" कहा जाता है। इस मज्कूरा बाला तमाम वाकिआत "इरहास" हैं जो हुज़ूरे अकरम ﷺ के ए'लाने नुबुव्वत करने से क़ब्ल जाहिर हुए जिन को हम ने "बरकाते नुबुव्वत" बयान किया है। इस किस्म के वाकिआत जो "इरहास" कहलाते हैं उन की तादाद बहुत जियादा है, इन में से चन्द का ज़िक्र हो चुका है चन्द दूसरे वाक़िआत भी पढ़ लीजिये।

     

  मुहूद्दिष अबू नुऐम ने अपनी किताब "दलाइलुन्नुबुव्वह" में हज़रते अब्दुल्लाह बिन अब्बास رضي الله عنه की रिवायत से यह हदीष बयान की है कि जिस रात हुजूर ﷺ का नूरे नुबुव्वत हज़रते अब्दुल्लाह की पुश्त से हज़रते आमिना के बत्ने मुक़द्दस में मुन्तकिल हुवा, रूए ज़मीन के तमाम चौपायों, खुसूसन कुरैश के जानवरों को अल्लाह तआला ने गोयाई अता फ़रमाई और उन्हों ने ब ज़बाने फ़सीह ए'लान किया कि आज अल्लाह का वोह मुक़द्दस रसूल शिकमे मादर में जल्वा गर हो गया जिस के सर पर तमाम दुन्या की इमामत का ताज है और जो सारे आलम को रोशन करने वाला चराग है मशरिक के जानवरों ने मगरिब के जानवरों को बशारत दी इसी तरह समुन्दरों और दरियाओं के जानवरों ने एक दूसरे को येह खुश खबरी सुनाई कि हज़रते अबुल कासिम ﷺ की विलादते बा सआदत का वक़्त क़रीब आ गया।

 

 क़िताब :- सीरते मुस्तफा (ﷺ) सफ़ह - 68

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