(डबल मुसल्ला पर नमाज़ पढ़ना कैसा है ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूहसवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए दीन व मुफ्तियाने शरअ मतीन इस मसअला में कि मुसल्ला के ऊपर मुसल्ला बिछाना कैसा है ? और मुसल्ला के ऊपर मुसल्ला बिछा कर नमाज़ पढ़ना कैसा है ?
जल्द अज़ जल्द जवाब इनायत फरमाएं बहुत मेहरबानी होगी
साइल : शेख सदाक़त अली किशनगंज बिहार
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : दो मुसल्ला बिछा कर या और कोई भी मोटा कपड़ा बिछा कर उस पर सजदा करने में पेशानी और नाक की हड्डी खूब अच्छी तरह जम जाती हो यानी इतनी जम जाती हो कि अब दबाने से ना दबे तो उस पर सजदा जायज़ है वर्ना नहीं।"फतावा आलमगीरी" में है
"ولو سجد علی الحشیش او التبن او علی القطن او الطنفسۃ او الثلج ان استقرت جبھتہ وانفہ ویجد حجمہ یجوز وان لم تسقر لا"
और अगर घास पर या भूसे पर या रूई पर या क़ालीन पर या बर्फ पर सजदा किया तो अगर पेशानी और नाक जम जाए और उसकी सख्ती पाए तो जायज़ है, और अगर ना जमे तो जायज़ नही है
(फतावा आलमगीरी किताबुस्सलाह जिल्द 1 सफा 70)
"बहारे शरीअत" में है:किसी नर्म चीज़ मसलन घास, रुई, क़ालीन वगैरहा पर सजदा किया तो अगर पेशानी जम गई यानी इतनी डबी की अब दबाने से ना दबे तो जायज़ है वर्ना नहीं(बारे शरीअत हिस्सा सोम सफा 518 फराइज़े नमाज़)
उमुमन दो मुसल्ला बिछाने पर ऐसा नहीं होता कि पेशानी और नाक की हड्डी खूब अच्छी तरह ना जमे लिहाज़ा दो मुसल्ला बिछा कर नमाज़ पढ़ने में कोई हर्ज नहीं बिला शुब्ह नमाज़ हो जाएगी/वल्लाहु आलम
अज़ क़लम
मुहम्मद मासूम रज़ा नूरी अफी अंह
20 शअबान 1446 हिजरी मुताबिक़ 19 फरवरी 2025 ब रोज़ चहार शंबा
हिंदी अनुवादक
मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
7 रमज़ान 1446 हिजरी मुताबिक़ 8 मार्च 2025 ब रोज़ सनीचर
मीन जानिब
मसाइले शरइय्या ग्रुप