( मिट्टी खाना कैसा है ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
सवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में कि मिट्टी खाना कैसा है ?
साइल : अब्दुल्लाह
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : आम मिट्टी खाने को फुक़्हा ने हराम और मकरूह तहरीर फरमाया है क्योंकि इस से सेहते इंसानी को शदीद खतरा है मगर खाक शिफा का हुक्म अलग है यानी इसका खाना दुरुस्त और इस में शिफा है
("ویکرہ أکل الطین لأن ذلک یضرہ فیصیر قاتلاً نفسہ")
(फतावा क़ाज़ी खान अली हामशुल फतावा अल हिंदिया 3/403)
मकरूह है मिट्टी का खाना इस में ज़रर के सबब कि वह जान लेवा हो जाता है।
"وسئل بعض الفقہاء عن اکل الطین البخاری ونحوہ قال لا باس بذلک مالم یضروکراہیۃ اکلہ لا للحرمۃ بل لتہییج الداء"
(फतावा अलमगीरी)
बुखारी और उन्हीं के मिस्ल फुक़्हा ने फरमाया अगर मिट्टी खाना सेहत के लिए ज़रर रसां हो तो उसका खाना शरअन ममनूअ है और अगर मुज़रे सेहत ना हो तो उसको खाने में कोई मज़ाएक़ा नहीं हमारे फुक़्हा के नज़दीक मकरूह है अगर ज़रर रसां है तो इसीलिए खाके शिफा से इस्तफादा जायज़ है की इस में ज़रर का शाएबा तक नहीं सिर्फ और सिर्फ शिफा ही शिफा है|हदीस शरीफ में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं
"عن عائشۃ أم المؤمنین: کان النَّبیُّ ﷺ یقولُ للإنسانِ إذا اشتَکی، یقولُ برِیقِہِ،ثمَّ قال بہ فی التُّرابِ: تُربۃُ أَرضِنا، برِیقۃِبعضِنا، یُشفَی سَقیمُنا، بإذنِ رَبِّنا"
(अबू दाऊद, सुनन अबी दाऊद)
"وقد قال فی رسالتہ لأہل مکۃ کل ماسکت عنہ فہو صالح"
और फतहुल क़ुदीर में आयत
"ھُوَ الَّذِیْ خَلَقَ لَکُمْ مَّا فِیْ الارْضِ جَمِیْعاً"
(सुरह बक़रा 29)
से इस्तदलाल किया है कि मिट्टी खाना हराम है।नीज़ अल्लामा अजलूनी ने कशफुल खफाई शरीफ में इसकी हुरमत के मुतअल्लिक़ चंद अहादीस नक़ल की हैं।वल्लाहु आलमु बिस्सवाब
अज़ क़लम
मंज़ूर अहमद यार अलवी
हिंदी अनुवादक : मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
22 माहे सफर 1447 हिजरी मुताबिक़ 17 अगस्त 2025 ब रोज़ इतवार
मिन जानिब : मसाइले शरइय्या ग्रुप
