(क्या अक़ीक़ह के खाने में शादी की दावत कर सकते हैं ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह
सवाल :- क्या अक़ीक़ह के खाने में सगाई और शादी की दावत दे कर खिला सकते हैं ?
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाह
जवाब :- अक़ीक़ह का गोश्त ग़रीब, मिसकीन पर तक़सीम (बांटकर) करके उन्हें खिलाया जाए या गोश्त बनाकर ग़रीब, मिसकीन और क़रीबी रिश्तेदार दोस्त अहबाब की दावत करके या शादी और सगाई की महफ़िल में दावत के तौर पर खिलाया जाए जाइज़ है।जैसा कि फ़कीहे मिल्लत मुफ़्ती जलालुद्दीन अहमद अमजदी अलैहिर्रहमा फरमाते हैं कि, अक़ीक़ह का गोश्त ग़रीब मिसकीन क़रीबी रिश्तेदार और दोस्त अहबाब में कच्चा बांट दें या पका कर दें या उनको दावत देकर खिलाएं सब जाइज़ है।(फ़तावा फ़कीहे मिल्लत पार्ट 2 हवाला बहारे शरीअत पार्ट 15 पेज़ नo 155)
लिहाज़ा गोश्त का पलॉव बनाकर दावत के ज़रिए जो रिश्तेदारों को खिलाया जाता है या वलीमा (शादी) में खिलाया जाता है सब जाइज़ और दुरुस्त है, अगरचे शादी के कार्ड में अक़ीक़ह का कोई ज़िक्र नहीं रहता ।(फ़तावा फ़कीहे मिल्लत पार्ट 2 पेज़ नo 256)वल्लाहु तआला आलम व रसूलहू आलम
लेखक
मुहम्मद साजिद चिश्ती (शाहजहांपुरी)
हिन्दी अनुवादक
मुजस्सम हुसैन मिस्बाही (गोड्डा, झारखण्ड)
दिनांक - 17 अगस्त 2025 (रविवार)
मिन'जानिब:- मसाइले शरईया ग्रुप