(हाथ पांव में काला धागा बांधना कैसा है?)
सवाल : क्या फरमाते हैं मुफ्तियाने किराम इस बारे में कि क्या काला धागा हाथ या पैर में बांधना सही है जवाब हवाले के साथ इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी
साईल : मोहम्मद अयूब रज़ा क़ादरी
जवाब : हाथ में धागा बांधना अगर किसी नफअ की उमीद या नुक़सान से बचाव की नियत व अक़ीदा से हो तो इस अक़ीदा के साथ हाथों में धागा या ज़ंजीर का बांधना दुरुस्त नहीं
इसलिए की नफअ व नुक़सान पहुंचाने वाली ज़ात अल्लाह तआला की है अल्लाह ही भलाईयां अता करता है और मुसीबतों से बचाता है बल्कि बाज़ फुक़्हा ने तो उसे अफआले कुफ्र में शुमार किया है
ज़मान ए जहिलियत में लोग गर्दन में या हाथ में अपने अक़ीदा के मुताबिक़ खुद को मुसीबत से बचाने के लिए धागे बांधा करते थे
उन धागों को रतीमा (''رتیمہ'') कहां जाता है फुक़्हा ने लिखा है कि यह ममनू है और बाज़ फुक़्हा ने तो उसे कुफ्रीया कामों में शुमार किया है
'' ثم رتیمۃ... ھی خیط کان یربط فی العنق أو فی الید فی الجاہلیۃ لدفع المضرة عن أنفسہم علی زعمہم ہو منہ عنہ وذکر فی حدود الیمان أنہ کفر(رد المحتار ، ج:۶، ص: ۳۶۳)واللہ اعلم بالصواب
अज़ क़लम
मोहम्मद मज़हर अली रिज़वी
हिंदी ट्रांसलेट
मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी
(दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)