(आईने के सामने नमाज़ का हुक्म)

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(आईने के सामने नमाज़ का हुक्म) 

 सवाल  : अर्ज़ यह है की तस्वीर के सामने नमाज़ नहीं होती है तो फिर मस्जिद में शीशा लगा रहता है और उसमें तस्वीर नज़र आती है तो फिर लोग नमाज़ क्यों पढ़ते हैं क्या शीशा के सामने नमाज़ हो जाएगी खुलासा जवाब इनायत फरमाएं
 
साईल :  मोहम्मद नौशादुल क़ादरी शिवहर
  
 जवाब  : आईने के सामने नमाज़ पढ़ना जायज़ व दुरुस्त है जैसा कि सदरूश्शरिया मुफ्ती अमजद अली आज़मी रहमतुल्लाही तआला इस तरह के सवाल पर क़लम बंद फरमाते हैं कि
 
 आईना सामने हो तो नमाज़ में कराहत नहीं कि सबबे कराहत तस्वीर है और वह यहां मौजूद नहीं और अगर इससे तस्वीर का हुक्म दे तो आईना का रखना भी मिसले तस्वीर नजायज़ हो जाए
 
 हालांकि बिल इजमा आईना रखना जाइज़ है
 
 और हक़ीक़त अम्र यह है कि वहां तस्वीर होती ही नहीं बल्कि खुतूते शआई आईना की सक़ालत (शफाफियत) की वजह से लौटकर चेहरे पर आते हैं ना यह कि आईना में उसकी सूरत छपती हो
 
 (फतावा ए अमजदिया जिल्द १ सफा १८४)
 
 मुफ्ती वक़ारूद्दीन रहमतुल्लाही तआला से ऐसे ही सवाल किया गया
 
 अगर मेहराब के अंदर  शीशे जुड़े हो और मेहराब की दीवार पर नमाज़ियों की तस्वीरें दिखाई देती हो तो क्या ऐसी सूरत में नमाज़ हो जाती है या नहीं
 
 आप ने जवाब में लिखा
 
 मेहरा या क़िबला की जानिब दीवार में शीशे इतनी ऊंचाई पर लगाए जा सकते हैं कि खाशईन (आजज़ी के साथ नमाज़ पढ़ने वाले) की नज़र रुकू से उठते और सजदे में जाते वक़्त उन पर ना पड़े और अगर नीचे लगा दिए हैं तो यह लगाना नाजायज़ है और इस वजह से नमाज़ में कराहते तन्ज़िही होती है कि उन पर नज़र पड़ने की वजह से खुशूअ में फर्क़ आएगा लेकिन आईने में आने वाले अक्स का हुक्म तस्वीर का नहीं है
 
 ((وقارالفتاویٰ ،جلددوم،ص:73))
 
 मज़ीद दूसरी जगह इसी मसले के तेहत फरमाते हैं
 
 नमाज़ियों के आगे इतनी ऊंचाई तक की खाशईन की तरह नमाज़ पढ़ने में जहां तक नज़र आ जाता है शीशे लगाना या कोई ऐसी चीज़ लगाना जिससे नमाज़ी का ध्यान और अल तिफात (التفات) उधर जाता हो मकरूह है
 
 लिहाज़ा इतनी ऊंचाई तक के शीशे हटा लेने चाहिए इन शीशों में अपनी शक्ल जो नज़र आती है इस के अहकाम तस्वीर के नहीं लिहाज़ा नमाज़ मकरूह ए तहरीमी ना होगी मगर मकरूह ए तन्ज़िही है
 
 ((وقارالفتاویٰ ، جلد دوم ،ص:258))
 
 लेकिन अगर कोई खुशूअ खुज़ूअ के साथ नमाज़ पढ़ रहा है और उसकी नज़र हालत ए क़याम में मकामे सजदा हालत ए रूकू में अपने कदमों और हालत ए क़ायदा में अपनी गोद पर मरकूज़ हो तो उसके लिए कोई मसला नही रहेगा
 
       والله اعلم بالصواب
 
 मोहम्मद जाबिरूल क़ादरी रज़वी
 
 हिंदी ट्रांसलेट 
 मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी 
(दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)
 


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