(पान तंबाकू खाना कैसा है ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
सवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में कि पान पान तंबाकू खाना कैसा है ? नीज़ मुंह में रख कर तिलावते क़ुरआन शरीफ करना और वज़ाईफ का क्या हुक्म है ?
साइल : सलमान रज़ा फैज़ी
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : पान व तंबाकू इतना खाए कि अगर कुल्ली कर ले और बू ना आए तो मुबाह है, खा सकते हैं, और कुल्ली करने के बाद बू बाक़ी रहे तो मकरूह है और अगर इतना खाए कि हवास बाख्ता हो जाए तो हराम है।
जैसा की सैखुल इस्लाम वल मुस्लिमीन आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान मुहद्दीस बरेलवी अलैहिर्रहमा वर्रिज़वान तहरीर फरमाते हैं : बक़दरे ज़रर व एहतलाल हवास खाना हराम है, और इस तरह कि मुंह में बू आने लगे मकरूह और अगर थोड़ी खुसूसन मुश्क वगैरह से खुशबू कर के पान में खाएं और हर बार खा के कुल्लियों से खूब मुंह साफ कर दें कि बू आने ना पाए तो खालिस मुबाह है, बू की हालत में कोई वज़ीफा ना करना चाहिए, मुंह अच्छी तरह साफ करने के बाद हो, और क़ुरआन अज़ीम तो हलातेे बदबू में पढ़ना और भी सख्त है, हां जब बदबू ना हो तो दरूद शरीफ व दिगर वज़ाईफ इस हालत में भी पढ़ सकते हैं कि मुंह में पान या तंबाकू हो अगर्चे बेहतर साफ कर लेना है, लेकिन क़ुरआन अज़ीम की तिलावत के वक़्त ज़रूर मुंह बिल्कुल साफ कर लें फिरिश्तों को (तिलावते) क़ुरआन अज़ीम का बहुत शौक है, और आम मालिइका को तिलावत की क़ुदरत ना दी गई, जब मुसलमान क़ुरआन पढ़ता है फिरिश्ता उसके मुंह पर मुंह रखकर तिलावत की लज़्ज़त लेता है उस वक़्त अगर मुंह में खाने की किसी चीज़ का लगाव होता है फिरिश्तो को ऐज़ा (तकलीफ) होती है।
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं
"طیبوا افواھکم بالسواک فان افواھکم طریق القران۔رواہ السنجری من الابانۃ عن بعض الصحابۃ رضی اللہ تعالٰی عنھم بسند حسن"
यानी अपने मुंह मिसवाक से सुधरे करो कि तुम्हारे मुंह क़ुरआन अज़ीज़ का रास्ता हैं।
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं
"اذا قام احدکم یصلی من اللیل فلیستک ان احدکم اذا قراء فی صلاتہ وضع ملک فاہ علی فیہ ولا یخرج من فیہ شء الادخل فم الملک رواہ البیہقی فی الشعیب الایمان وتمام فی فوائدہ والضیاء فی المختارۃ عن جابر بن عبداللہ رضی اللہ تعالٰی عنھما وھو حدیث صحیح"
यानी जब तुम में कोई तहज्जुद को उठे मिसवाक कर ले कि जो नमाज़ में तिलावत करता है फिरिश्ता उसके मुंह पर अपना मुंह रखता है जो उसके मुंह से निकलता है फिरिश्ता के मुंह में दाखिल होता है।
और दूसरी हदीस में है
"لیس شیٔ اشد علی الملک من ریح الثمر ما قام عبد الی صلوۃ قط الاالتقم فاہ ملک ولایخرج من فیہ ایۃ الایدخل فی فی الملک"
यानी फिरिश्ता पर कोई चीज़ खाने की बहुत ज़्यादा सख्त नहीं, जब कभी मुसलमान नमाज़ को खड़ा होता है फिरिश्ता उसका मुंह अपने मुंह में ले लेता है जो आयत उसके मुंह से निकलती है फिरिश्ते के मुंह में दाखिल होती है।
(अहकामे शरीअत हिस्सा 1 सफा 123)
लिहाज़ा मुंह में पान तंबाकू रखकर क़ुरआन शरीफ व दिगर वज़ाईफ वगैरा नहीं करना चाहिए, खिलाफ ए अदब है।
वल्लाहु आलमु बिस्सवाब
अज़ क़लम : मुहम्मद अतीक़ुल्लाह सिद्दीक़ी फैज़ी यार अलवी अरशदी अफी अंह
हिंदी अनुवादक : मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
22 माहे सफर 1447 हिजरी मुताबिक़ 17 अगस्त 2025 ब रोज़ इतवार
मिन जानिब : मसाइले शरइय्या ग्रुप