(गाय, बकरी का थन खाना कैसा है ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
सवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में कि गाय का थन खाना कैसा है ? जवाब इनायत फरमाइए
साइल : मुहम्मद सद्दाम अंसारी
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : गाय बकरी का थन (यानी : खीरी) खाना बिल्कुल जायज़ व हलाल है क्यों कि यह हलाल जानवर के हराम अजज़ा में से नहीं है यानी जिन जानवरों का गोश्त खाया जाता है उन के बाईस अजज़ा हैं जिन में बाज़ हराम या ममनूअ या मकरूह हैं जैसा कि सरकार सैयदी आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमा फरमाते हैं : हलाल जानवर के सब अजज़ा हलाल हैं मगर बाज़ कि हराम या ममनूअ या मकरुह हैं (1) रगो का खून (2) पित्ता (3) फुकना [यानी : मसाना] (4/5) अलामाते मादा व नर (6) बैज़े [यानी : कपूरे, खुसीए] (7) गुदूद (8) हराम मगज़ (9) गर्दन के दो पठे कि शानों तक खंचे होते हैं (10) जिगर [यानी : कलेजी] (11) तिल्ली का खून (12) गोश्त का खून कि बादे ज़ब्ह गोश्त में से निकलता है (13) दिल का खून (14) पित यानी : वह ज़र्द पानी की रिस्ते में होता है (15) नाक की रतूबत कि भेड़ में अक्सर होती है (16) पाखाना का मक़ाम (17) ओझड़ी (18) आन्तें (19) नुत्फा (20) वह नुत्फा कि खून हो गया (21) वह [नुत्फा] कि गोश्त का लोथड़ा हो गया (22) वह कि [नुत्फा] पूरा जानवर बन गया और मुर्दा निकला या बे ज़ब्ह मर गया।(फतावा रज़विया जिल्द 20 सफा 240/241)वल्लाहु तआला व रसूलुहुल आला आलमु बिस्सवाब अज़्ज़ व जल व सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम
अज़ क़लम
सैय्यद मुहम्मद नज़ीरुल हाशमी सहरवरदी शाही दारुल क़ज़ा व आस्तान ए आलिया गौसिया सहरवरदिया दाहोद शरीफ अल हिंद
22 शव्वाल 1446 हिजरी मुताबिक़ 21 अप्रैल 2025 ब रोज़ पीर
हिंदी अनुवादक
मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
6 ज़िल हिज्जा 1446 हिजरी मुताबिक़ 3 जून 2024 ब रोज़ मंगल
मीन जानिब
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