(मर्द और औरत को इत्र लगाना कैसा है?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातहू
किया फरमाते हैं उलमाए दीन इस मसअला के बारे में कि मर्द व औरत को इत्र लगाना कैसा है जवाब इनायत फरमाएं
साइल:- फ़ैजान खान (एम पी)
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकातहू
बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम
अल'जवाब :मर्द को अच्छी खुशबू लगाना जाइज़ और सुन्नत है जैसा कि हदीस शरीफ़ में है,
عَنْ عَائِشَةَ قَالَتْ : كُنْتُ أُطَيِّبُ النَّبِيَّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ بِأَطْيَبِ مَا يَجِدُ، حَتَّى أَجِدَ وَبِيصَ الطِّيبِ فِي رَأْسِهِ وَلِحْيَتِهِ
मोमिनों की मां हजरत आएशा सिद्दीक़ा रज़ी अल्लाहु तआला अनहा फरमाती हैं में रसूल अल्लाह ﷺ को बेहतरीन खुशबू लगाती थीं यहां तक कि उसका असर बाल और दाढ़ी मुबारक पर पाया जा रहा था । सहीह बुखारी (हदीस नo 5923)
यूँ ही औरत को भी इत्र लगाना जाइज़ है बस फ़र्क़ यह है कि मर्द का इत्र ऐसा हो जिसमें रंग मख़फ़ी (कम,छुपा) हो खुशबू ज़ाहिर हो और औरत का इत्र ऐसा हो कि रंग ज़ाहिर हो और खुशबू मख़फ़ी हो जैसा कि हदीस शरीफ़ में है
أَخْبَرَنَا أَحْمَدُ بْنُ سُلَيْمَانَ قَالَ حَدَّثَنَا أَبُو دَاوُدَ يَعْنِي الْحَفَرِيَّ عَنْ سُفْيَانَ عَنْ الْجُرَيْرِيِّ عَنْ أَبِي نَضْرَةَ عَنْ رَجُلٍ عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ طِيبُ الرِّجَالِ مَا ظَهَرَ رِيحُهُ وَخَفِيَ لَوْنُهُ وَطِيبُ النِّسَاءِ مَا ظَهَرَ لَوْنُهُ وَخَفِيَ رِيحُهُ
हज़रत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है कि रसूल अल्ला ﷺ ने फरमाया: "मर्दों की खुशबू वह है जिसकी खुशबू ज़ाहिर हो और रंग मख़फ़ी हो और औरत की खुशबू वह है जिसका रंग नुमायां (ज़ाहिर) हो लेकिन खुशबू मख़फ़ी (छुपा) हो । (सुनन नसाई, हदीस नo 5120)
और औरत उस वक्त इत्र का इस्तेमाल करे जब कि अपने शौहर (पति) या अपने महरमात या औरतों के बीच हो, खुशबू लगा कर बाहर या सफर पर जाना चाहे अपने पति के साथ हो या महरमात के साथ ताकि लोग उसकी तरफ आकर्षित हों तो खुशबू लगाना हराम है,हदीस शरीफ़ में है ।
وَعَنْ أَبِي مُوسٰى قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللّٰهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ : «كُلُّ عَيْنٍ زَانِيَةٌ وَإِنَّ الْمَرْأَةَ إِذَا اسْتَعْطَرَتْ فَمَرَّتْ بِالْمَجْلِسِ فَهِيَ كَذَا وَكَذَا» . يَعْنِي زَانِيَةً.رَوَاهُ التِّرْمِذِيُّ وَلِأَبِي دَاوُدَ وَالنَّسَائِيّ
हज़रत अबू मूसा अशअरी रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है वह फरमाते हैं कि रसूल अल्लाह ﷺ कि हर आंख ज़ना करती है और औरत जब खुशबू लगा कर किसी जगह से गुज़रे तो वह ऐसी ऐसी है यानि ज़ानियां है।(मरअतुल मनाजीह पार्ट 2 हदीस नo 1065)वल्लाहु तआला आलमु बिस्सवाब
लेखक
मुहम्मद इमरान क़ादरी तनवीरी साहब
हिन्दी अनुवादक
मुजस्सम हुसैन मिस्बाही गोड्डा झारखण्ड
मसाइले शरईया ग्रुप