(विमल,गुटखा,पान,तंबाकू वगैरह इस्तेमाल करना कैसा है ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातहू सवाल :-विमल,गुटखा,पान,तंबाकू,पान मसाला वगैरह खाना कैसा है ?
साइल :- अब्दुल्लाह क़ादरी
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि व बरकातहू
जवाब :-विमल,गुटखा,पान,तंबाकू वगैरह से बचना बेहतर है मगर यह सब चीजें हराम नहीं, कुछ लोग जो हराम मानते हैं वह इस वजह से कि हदीस शरीफ़ में है कि नशा वाली जो चीज़ ज़्यादा हो वह हराम है तो वही चीज़ कम रहे फिर भी वह हराम ही है)
इस क़ायदह कुल्लिया से पान, तंबाकू वगैरह हराम होना चाहिए और इसका थोड़ा भी हराम होना चाहिए कि इसका ज़्यादा भी नशा आवर है इसका जवाब यूँ है जैसा कि हदीस शरीफ़ में भी ज़िक्र है उससे माइयात, मसकरह यानि हर पतली और बहने वाली चीजें मुराद हैं नः की वह जामिद (ठोस,मोटा) चीजें (जैसे - भांग और अफ़ीम वगैरह) जिनका थोड़ा नशा आवर नहीं होता तो वह हराम नहीं, हदीस शरीफ़ में जो है
مااسکرکثیرہ فقلیلہ حرام
अगर इस क़ायदह कुल्लिया को बिल्कुल मान लिया जाए तो मुश्क व अम्बर और ज़ाफरान भी बिल्कुल ही हराम हो जाएंगे क्योंकि इनके ज़्यादा खाने से भी नशा पैदा होता है, हालांकि इसका कम खाना हराम नहीं।
(ऐसा ही फ़तावा रज़विया पार्ट 10 पेज़ नo 86 में है)
और हज़रत अल्लामा इब्न आबिदीन शामी इस हदीस के मुताल्लिक़ तहरीर फरमाते हैं,
الظاھران ھذاخاص بالاشربۃ المائعۃ دون الجامدکالبنج والافیون فلایحرم قلیلھابل کثیرھاالمسکروبہ شرح ابن حجرفی التحفۃ وغیرہ وھو مفہوم من کلام ائمتنالانھم عدوھامن الادویۃ المباحۃ وان حرم المسکر منھابالاتفاق کمانذکرہ ولم نراحداقال بنجاستھاولابنجاسۃ نحو الزعفر ان مع ان کثیرہ مسکرولم یحرموااکل قلیلہ ایضا
और फिर फरमाते हैं
الحاصل انہ لایلزم من حرمۃ الکثیرحرمۃ قلیلہ الافی المائعات لمعنی خاص بھاواماالجامدات فلایحرم منھاالاالکثیرالمسکر
(रद्दुल मुहतार पार्ट 5 पेज़ नo 324)
और जब यह साबित हो गया कि जामिद चीजें जब नशा आवर ना हों तो वह हलाल हैं और चूंकि पान तंबाकू अगर कम हो तो नशा नहीं आता इस लिये उसका खाना हराम नहीं है।(ऐसा ही फ़तावा रज़विया पार्ट 9 पेज़ नo 269 में है)
रही बात गुटखा की तो हमारे एलाक़े में जो गुटखा मिलता है उसकी हर पुड़या में उसे किस चीज़ से मिलाना है और कैसे मिलाना है लिखे हैं, जिससे ज़ाहिर यही होता है कि उसमें अफ़ीम वगैरह किसी हराम चीज़ की मिलावट नहीं है, और शरीअत का हुक्म ज़ाहिर पर होता है, और चीजों में असल जाइज़ है इस लिए बराबर की हद में गुटखा का इस्तेमाल शरअन मना नहीं, और पब्लिक में बहुत गलत बातें भी मशहूर हो जाया करती हैं जिनका हक़ीक़त से कोई वास्ता नहीं होता,
लिहाज़ा यह जो कहा जाता है कि इसमें अफ़ीम भी मिली होती है, सिर्फ यह कह देने से अफ़ीम का शामिल होना हरगिज़ साबित न होगा।
(यशर्हुल अश्बाह वन्नज़ाइरे लिलहमवी पार्ट 1 पेज़ नo 212 में है)
اقول بمجردافواہ فتاویٰ اختلاط الافیون الناس مالم یتحقق
(हवाला- फ़क़ीहे मिल्लत पार्ट 2 पेज़ नo 316)वल्लाहु आलम व रसूलहू आलम
लेखक
मुहम्मद इबराहीम खान अमजदी
हिन्दी अनुवादक
मुजस्सम हुसैन मिस्बाही (गोड्डा, झारखण्ड)
दिनांक - 16 अगस्त 2025 (शनिवार)
मिन जानिब
मसाइले शरईया ग्रुप