(औरत का ज़बिहा खाना कैसा है ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
सवाल : क्या फरमाते हैं मुफ्तियाने शरअ मतीन मसअला ज़ैल के बारे में कि औरत का ज़बिहा मर्द खा सकता है ? जवाब इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी
साइल : मालूम नहीं
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : मुस्लिम सुन्नी सहिहुल अक़ीदा औरत का ज़बिहा हलाल है और हर कोई खा सकता है चाहे मर्द हो या औरत।औरत के ज़बिहा का वही हुक्म है जो मर्द के ज़बिहा का है
" المرأة المسلمۃ و الکتابیۃ فی الذبح کالرجل "
औरत ज़बह में मर्द के मित्र हैं(फतावा हिंदिया जिल्द 5 सफा 354)
हुज़ूर सदरुश्शरिआ अल्लामा मुफ्ती मुहम्मद अमजद अली आज़मी अलैहिर्रहमा फरमाते हैं : ज़िब्ह में औरत का वही हुक्म है जो मर्द का है यानी मुस्लिमा या किताबिया औरत का ज़बिहा हलाल है और मुशरिका व मुर्तदा का ज़बिहा हराम है।(बहारे शरीअत जिल्द सोम हिस्सा पांज़दहुम)वल्लाहु तआला व रसूलुहू आलमु बिस्सवाब
अज़ क़लम
मुहम्मद इमरान क़ादरी तनवीरी अफी अन्ह
हिंदी अनुवादक
मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
05 ज़िल हिज्जा 1446 हिजरी मुताबिक़ 02 मई 2025 ब रोज़ सोमवार
मीन जानिब
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