(मंदिर का रास्ता बताना कैसा है ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूहसवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए दीन व मुफ्तियाने शरअ मतीन इस मसअला में कि किसी शख्स को मंदिर का रास्ता बताना कैसा है ?
साइल : फक़ीर मुहम्मद ओवैस क़ादरी गोंडवी
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : नाजायज़ व गुनाह है क्योंकि इसमें गुनाह पर मदद देना है जो की ममनुअ है ।चुनान्चे क़ुरआन करीम में है" وَ لَا تَعَاوَنُوْا عَلَى الْاِثْمِ وَ الْعُدْوَان (المآئدۃ، ۵/۲) "तर्जुमा : और गुनाह और ज़्यादती पर आपस में मदद ना करो ।
और अल्लामा निजामुद्दीन हनफी मुतवफ्फा 1092 हिजरी और उलमा ए हिंद की एक जमाअत ने लिखा है" ذمي سأل مسلما على طريق البيعة لا ينبغي للمسلم أن يدله على ذلك؛ لأنه إعانة على المعصية. "(अल फतावा हिंदिया 2/250)
यानी : ज़िम्मी काफिर ने किसी मुसलमान से अपनी इबादतगाह का रास्ता पूछा तो मुसलमान उसे रास्ता ना बताए कि यह गुनाह पर मदद करना है ।
और सदरुश्शरिआ मुहम्मद अमजद अली आज़मी हन्फी मुतवफ्फा 1347 हिजरी लिखते हैं : नसरानी ने मुसलमान से गिरजे का रास्ता पूछा या हिंदू ने मंदिर का तो ना बताए कि गुनाह पर एआनत करना है ।(बहारे शरीअत जिल्द 2 हिस्सा 9 सफा 452)
अज़ क़लम
मुहम्मद ओसामा क़ादरी
24 रजब 1446 हिजरी
मुताबिक़ 25 जनवरी 2025
बरोज़ हफ्ता
हिंदी अनुवादक
मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
14 रमज़ान 1446 हिजरी
मुताबिक़ 15 मार्च 2025
बरोज़ सनीचर
मिन जानिब
मसाइले शरइय्या ग्रुप