ज़कात न देने वालों के लिए क़ाबिले ग़ौर तह़रीर

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ज़कात न देने वालों के लिए क़ाबिले ग़ौर तह़रीर

 

 कमाल मुस्त़फ़ा अज़्हरी जोखनपुरी


जब अल्लाह त्आ़ला ने आपको इस्लाम की दौलत अ़त़ा फ़रमाई, और अ़क़्ले सलीम के साथ आपको ह़द्दे बुलूग़ तक पहुंचाया, और एक आज़ाद ज़िंदगी अ़त़ा फ़रमा कर अपने, और ह़बीब (ﷺ) के फ़ज़्ल से आपको ग़नी (मालदार) कर दिया;


अब इस माल को, पहले अपने, और घर वालों के ऊपर, साल भर, ज़रूरिय्यात में ख़र्च करो. फिर जब बच जाए, तो उसमें से भी सारे माल पर नहीं, बल्कि 2.5%, उस अल्लाह पाक की राह में ही ख़र्च करना है, जिसने आपको माल अ़त़ा फ़रमाया है। अल्लाह पाक को आपके माल की ह़ाजत नहीं, कि बेशक वो ग़नी व ह़मीद है. बल्कि ये माल फ़ुक़रा व मसाकीन, और दीन की राह में ख़र्च करना है। 


▪️ ऐ मुसलमानो!

अगर अब भी तुम ज़कात नहीं दोगे, तो जान लो, रसूले अकरम (ﷺ) फ़रमाते हैं: "जो क़ौम ज़कात न देगी, अल्लाह तआ़ला उसे क़ह़त़ में मुब्तला फ़रमायेगा."

[अल्-मुअ़्जमुल् औसत़, ह़दीस नं. 4577]


तो तुम क्यूँ मिले हुए माल को खोना चाहते हो, उसे अदा करके मह़फ़ूज़ क्यूँ नहीं करते?

ह़ुज़ूर नबिय्ये करीम (ﷺ) फ़रमाते हैं: "ज़कात देकर, अपने मालों को, मज़बूत क़िलों में कर लो " [मरासीले अबी दाऊद (मअ़ सुनने अबी दाऊद), पेज नं. 8]


बहुत से ऐसे लोग हैं, जो ज़कात तो नहीं देते, लेकिन साल भर कुछ न कुछ स़दक़ा करते रहते हैं, ये मत सोचना कि वो कुछ फ़ायदा पहुंचाएगा. क्यूंकि जिसकी ज़कात न अदा हुई, उसका स़दक़ा भी क़ुबूल नहीं होगा. इसलिए कि ज़कात अदा न करने से, वो माल पाक ही न हुआ. ह़दीसे पाक में है: "ज़कात जिस माल में मिलेगी, उसे हलाक कर देगी."

[शुअ़बुल् ईमान, ह़दीस नं. 3522]

यानी: ज़कात वाजिब थी, और अदा न की, तो अब ये ह़राम माल, माले ह़लाल को हलाक कर देगा;

और जब माल पाक ही न हुआ, तो इससे दिया गया स़दक़ा, कैसे क़ुबूल हो सकता है? कि ह़ुज़ूर नबिय्ये करीम (ﷺ) फ़रमाते हैं: "जो शख़्स खजूर बराबर ह़लाल कमाई से स़दक़ा करे, और अल्लाह अ़ज़्ज़ व जल्ल नहीं क़ुबूल फ़रमाता, मगर ह़लाल को....."[बुख़ारी शरीफ़, ह़दीस नं. 1410]


▪️आप ज़रा सोचो कि पूरा साल मेह़नत करते हो, ह़लाल माल कमाने की कोशिश करते हो और माल हा़सिल भी हो जाता है लेकिन ज़कात न देकर तुम उसे नापाक कर लेते हो और अपने आपको हलाकत व शर में गिरफ्तार कर लेते हो। 


ज़कात अदा न करने वालों के बारे में, अल्लाह रब्बुल् इ़ज़्ज़त इर्शाद फ़रमाता है:


"وَلَا یَحْسَبَنَّ الَّذِیْنَ یَبْخَلُوْنَ بِمَاۤ اٰتٰهُمُ اللّٰهُ مِنْ فَضْلِهٖ هُوَ خَیْرًا لَّهُمْؕ بَلْ هُوَ شَرٌّ لَّهُمْؕ سَیُطَوَّقُوْنَ مَا بَخِلُوْا بِهٖ یَوْمَ الْقِیٰمَةِؕ"،

"जो लोग बुख़्ल करते हैं उसके साथ, जो अल्लाह अ़ज़्ज़ व जल्ल ने अपने फ़ज़्ल से उन्हें दिया. वो ये गुमान न करें, कि ये उनके लिए बेहतर है, बल्कि ये उनके लिए बुरा है. इस चीज़ का, क़ियामत के दिन, उनके गले में त़ौक़ डाला जाएगा, जिसके साथ बुख़्ल किया."[सूरह आले इमरान: 180]


और ह़दीसे पाक में है: "जिस माल की ज़कात नहीं दी गयी, क़ियामत के दिन वो (माल) गंजा साँप होगा. मालिक को दौड़ाएगा, वो भागेगा. यहां तक कि अपनी उँगलियाँ उसके मुँह में डाल देगा."

[मुस्नदे अह़मद, ह़दीस नं. 10857]

याद रहे कि जब साँप की उम्र दो हज़ार साल हो जाती है, तब गंजा होता है; क्योंकि इस उम्र में ज़हर का असर इतना सख्त हो जाता है जिस की वजह से उसके बाल भी गिर जाते हैं।


और: "जिसने अपने माल की ज़कात अदा कर दो, बेशक अल्लाह तआ़ला ने उस से शर दूर फ़रमा दिया."

[अल्-मुअ़्जमुल् औसत़, ह़दीस नं. 1579]


▪️अब फै़सला आपको करना है कि रब त्आ़ला कि रजा़ हा़सिल करके बरबादी व हलाकत से दूर रहना है या खु़द और अहलो अ़याल को ह़राम खिला कर दुनिया में क़ह़त़ साली औऋ आखि़रत में रुसवाई व अ़जा़बे इलाही को द्अवत देना है। 


▪️ फिर गुजा़रिश है।   ऐ मुसलमानो!

अपने मालों की ज़कात अदा करो, और उसकी खु़शनूदी हा़सिल करो ताकि दुनिया की मुसीबतों के साथ साथ, आख़िरत की हौलनाकियों से महफ़ूज़ रहो.

▪️यह पोश्ट दुसरों तक भी शेयर करें हो सकता है आपकी वजह से किसी को ज़कात अदा करने की तौफीक़ मिल जाऐ, वो गुनाहे अ़जी़म से  बच जाय और आपको अज्रे जजी़ल मिल जाये। 

(नोट) ज़कात के मसाइल जानने के लिए राबिता कर सकते हैं।

कमाल मुस़्त़फ़ा अज़्हरी जोखनपुरी (इब्ने मुनाजि़रे अहले सुन्नत अ़ल्लामा सगी़र अह़मद जोखनपुरी साह़ब कि़ब्ला) 

जामिआ़ अज़्हर शरीफ़,

क़ाहिरा (मिस्र)

+919997779428


खा़दिम : अल् जामिया़तुल का़दरिय्या मुजव्वजा़ अ़रबी यूनिवर्सिटी, रिछा, बरेली शरीफ.

22\रमज़ानुल् मुबारक, 1443 हि.

23\ अप्रैल, 2022 ई.

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