(बीवी शौहर को हमबिस्तरी से कब मना कर सकती है ?)

0

(बीवी शौहर को हमबिस्तरी से कब मना कर सकती है ?)

अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
सवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम मुफ्तियाने ज़विल एहतराम मसअला ज़ैल के बारे में कि ज़ैद व हिंदी दोनो मियां बीवी हैं और एक साथ रहते हैं, लेकिन हमबिस्तरी को ले कर  आपस में दोनों के दरमियान अक्सर लड़ाई झगड़ा होता रहता है जबकि दोनों मुकम्मल तौर पर  सेहतमंद है बीवी का कहना है कि एक माह में एक दो बार बहुत है लेकिन शौहर का मुतालबा ज़्यादा है बीवी से जब वजह पूछी गई तो उसने कहा मैं रोज़ाना गुस्ल नहीं कर सकती और मेरा दिल भी बार-बार नहीं करता अगर आप को ज़्यादा की ख्वाहिश है तो दूसरी शादी करलो जब कि बीवी को मालूम है कि दूसरी शादी नहीं कर सकता क्या बीवी का ऐसा करना और कहना दुरुस्त है और अगर दुरुस्त नहीं है तो क्या हुक्म आएद होगा ?बहवाला जवाब  इनायत फरमाएं
साइल :  मुहम्मद हस्सान रज़ा क़ादरी जामिआ क़ादरिया बरकातिया लिल बनात क़स्बा अकूना जिला श्रावस्ती यूपी

व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब :सुरते मसऊला में बीवी का उज़्र मानेअ जिमाअ नहीं है लिहाज़ा बीवी के लिए शौहर को वती से मना नाजायज़।क्योंकि बीवी पर शौहर की जिस्मानी ख्वाहिशात का पूरा करना वाजिब है | जैसा की "बिदाएउस सिनाएअ" में है(وجوب طاعة الزوج على الزوجة إذا دعاها إلى الفراش اه‍....)
तर्जुमा : जब शौहर औरत को बुलाए तो उस पर शौहर की अताअत वाजिब है।(बिदाएउस सिनाएअ किताबुन्निकाह जिल्द 3 सफा 613)

और बगैर किसी शरई उज़्र मुसलन हैज़ व निफास, एहराम वगैरा के बीवी के लिए शौहर को हमबिस्तरी से मना करना नाजायज़ है और ऐसी औरत के मुतअल्लिक़ हदीस में वईद आई है।
"सहीहुल बुखारी" में है
(عن أبي هريرة رضي الله عنه، عن النبي صلى الله عليه وسلم قال:إذا دعا الرجل امرأته إلى فراشه، فأبت أن تجيء، لعنتها الملائكة حتى تصبح")

तर्जुमा : हज़रत अबू हुरैरा रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू से मरवा है कि नबी अकरम ﷺ ने फरमाया जब कोई आदमी औरत को अपने बिस्तर पर बुलाए और वह आने से मना कर दे तो सुबह तक उस औरत पर फिरिश्तेे लानत करते हैं।(सहीहुल बुखारी किताब बदइल खलक़ रक़मुल हदीस 3237 सफा 388)

"सहीह मुस्लिम" में है

عن أبي هريرة، قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم:والذي نفسي بيده، ما من رجل يدعو امرأته إلى فراشها، فتأبى عليه، إلا كان الذي في السماء ساخطا عليها حتى يرضى عنها."

हज़रत अबू हुरैरा रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू से रिवायत है फरमाया की नबी करीम ﷺ ने फरमाया, उस ज़ात की क़सम जिस के क़ब्ज़ ए कुदरत में मेरी जान है शौहर ने औरत को बुलाया और उसने इंकार कर दिया तो जब शौहर राज़ी ना हो तब तक अल्लाह तआला उस औरत से नाराज़ है।(सहीह मुस्लिम किताबुन्निकाह हदीस 1436 सफा 753)

"बिदाएउस सिनाएअ फी तरतीबुशराएअ" में है

"وللزوج ‌أن ‌يطالبها ‌بالوطء ‌متى ‌شاء ‌إلا ‌عند ‌اعتراض ‌أسباب ‌مانعة ‌من ‌الوطء ‌كالحيض ‌والنفاس والظهار والإحرام وغير ذلك، وللزوجة أن تطالب زوجها بالوطء؛ لأن حله لها حقها كما أن حلها له حقه، وإذا طالبته يجب على الزوج، ويجبر عليه في الحكم مرة واحدة والزيادة على ذلك تجب فيما بينه اھ....

तर्जुमा : शौहर अपनी बीवी से जब चाहे वती का मुतालबा कर सकता है मगर वती के मानेअ असबाब के आरिज़ होने के वक़्त जैसे हैज़ और निफास और ज़िहार और एहराम वगैरा और बीवी भी अपने शौहर से वती का मुतालबा कर सकती, इस लिए की जैसे शौहर का हक़ औरत पर ऐसे औरत का हक़ शौहर पर है, और जब एक मर्तबा औरत मुतालबा करे तो शौहर पर उस का मुतालबा पुरा करना वाजिब है और मजबूर किया जाएगा।(बिदाएउस सिनाएअ किताबुन्निकाह जिल्द 3 सफा 606)

इन्तिबाह : हर रोज़ सोहबत ना करें क्यों कि हद से ज़्यादा मुबाशरत करने से मर्द और औरत दोनों के लिए नुक़सान है, बिलखुसूस ज़्यादा सोहबत से मर्द की सेहत पर ज़्यादा असर पड़ता है, सेहत की कमज़ोरी फिर तरह-तरह की बीमारियों का बाअस बनती है, अक्सर शहवत परस्त औरतों के शौहर मुसलसल मुबाशरत की वजह से अपनी सेहत खो बैठे हैं और सेहत की कमजोरी की वजह से जब वह औरत के पहले की तरह ख्वाहिश की तकमील नहीं कर पाते और औरत को जब आदत के मुताबिक़ तसल्ली नहीं हो पाती है तो फिर वह पड़ोस में और बाहर वह चीज़ें तलाश करने की कोशिश करती है और फिर एक नई जुदाई का जन्म होता है, इ लिए ज़रूरी है कि क़ुदरत कि इस अनमोल चीज़ का इस्तेमाल बे दर्दी से ना किया जाए।(क़रीन ए ज़िन्दगी सफा 111)

अज़ क़लम 
अब्दुल वकील सिद्दीक़ी नक्शबंदी फलोदी राजस्थान अल हिंद
 (खादिमुत्तदरीस : अल जामिअतुस सिद्दीक़िया सोजा शरीफ बाड़मेर राजस्थान अल हिंद)
26 जमादिल उला 1446 हिजरी
29 नवंबर 2024 , बरोज़ जुमआ
हिंदी अनुवादक
मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
5 रमज़ान 1446 हिजरी मुताबिक़ 6 मार्च 2024 ब रोज़ जुमेरात
मीन जानिब 
मसाइले शरइय्या ग्रुप


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
एक टिप्पणी भेजें (0)
AD Banner
AD Banner AD Banner
To Top