हुब्बुल वतन मिनल ईमान की तहक़ीक़?

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 हुब्बुल वतन मिनल ईमान की तहक़ीक़?

 सवाल:  क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में की हुब्बुल वतन मिनल ईमान हदीस है या नहीं

 साईल: मौलाना अब्दुल जब्बार

 जवाब: हुब्बुल वतन मिनल ईमान, यानी वतन की मोहब्बत ईमान का हिस्सा है यह हदीस नहीं है

जैसा कि आला ह़ज़रत इमाम अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमा  फतावा रज़विया में फ़रमाते हैं कि (हुब्बुल वतन मिनल ईमान) ना हदीस से साबित ना हरगिज़ इस के यह माना

 इसका यह माना इमाम बदरुद्दीन ज़रकशी ने अपने जुज़ और इमाम शमसुद्दीन सखावी ने मक़ासिदे हसना और इमाम खातिमुल हुफ्फाज़ जलालुद्दीन सुयूती ने दुर्रे मुन्तशिरह  मे़ बिल इत्तेफाक़ इस रिवायत को फरमाया  मैं इस से आगाह नहीं हो सक

 इमाम सखावी ने इस की अस्ल एक अराबी बदवी और हकीमाने हिंद के कलाम में बताई  जैसा कि इसकी तरफ रुजूअ से ज़ाहिर है, अल्लाह पाक ने क़ुरआन अज़ीम में अपने बंदों की कमाल मदह फरमाई जो अल्लाह व रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मोहब्बत में अपना वतन छोड़ें, और उनकी सख्त मज़म्मत फरमाई जो जब वतन लिए बैठे रहे और अल्लाह व रसूल की तरफ मुहाजिर ना हुए

 قال اﷲ تعالٰی اِنَّ الَّذِیْنَ تَوَفّٰىهُمُ الْمَلٰٓىٕكَةُ ظَالِمِیْۤ اَنْفُسِهِمْ قَالُوْا فِیْمَ كُنْتُمْؕ-قَالُوْا كُنَّا مُسْتَضْعَفِیْنَ فِی الْاَرْضِؕ-قَالُوْۤا اَلَمْ تَكُنْ اَرْضُ اللّٰهِ وَاسِعَةً فَتُهَاجِرُوْا فِیْهَاؕ-فَاُولٰٓىٕكَ مَاْوٰىهُمْ جَهَنَّمُؕ-وَ سَآءَتْ مَصِیْرًا(97)اِلَّا الْمُسْتَضْعَفِیْنَ مِنَ الرِّجَالِ وَ النِّسَآءِ وَ الْوِلْدَانِ لَا یَسْتَطِیْعُوْنَ حِیْلَةً وَّ لَا یَهْتَدُوْنَ سَبِیْلًا(98)فَاُولٰٓىٕكَ عَسَى اللّٰهُ اَنْ یَّعْفُوَ عَنْهُمْؕ-وَ كَانَ اللّٰهُ عَفُوًّا غَفُوْرًا(99)وَ مَنْ یُّهَاجِرْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ یَجِدْ فِی الْاَرْضِ مُرٰغَمًا كَثِیْرًا وَّسَعَةًؕ-وَ مَنْ یَّخْرُ جْ مِنْۢ بَیْتِهٖ مُهَاجِرًا اِلَى اللّٰهِ وَ رَسُوْلِهٖ ثُمَّ یُدْرِكْهُ الْمَوْتُ فَقَدْ وَ قَعَ اَجْرُهٗ عَلَى اللّٰهِؕ-وَ كَانَ اللّٰهُ غَفُوْرًا رَّحِیْمًا(100)

 वह लोग जिनकी जान फरिश्ते निकालते हैं इस हाल में कि वह अपने ऊपर ज़ुल्म करते थे उनसेे फरिश्ते कहते हैं तुम काहे में थे कहते हैं हम ज़मीन में कमज़ोर थे कहते हैं क्या अल्लाह की ज़मीन कुशादा ना थी कि तुम इस में हिजरत करते तो ऐसों का ठिकाना जहन्नम है और बहुत बुरी जगह पलटने की, मगर वह जो दबा लिए गए मर्द और औरतें और बच्चे जिन्हें ना कोई तदबीर बन पड़े ना रास्ता जानें, तो क़रीब है कि अल्लाह ऐसों को माफ फरमाए और अल्लाह माफ फरमाने वाला बख्श ने वाला है, और जो अल्लाह की राह में घर बार छोड़ कर निकलेगा वह ज़मीन में बहुत जगह और गुंजाइश पाएगा और जो अपने घर से निकला अल्लाह व रसूल की तरफ हिजरत करता फिर उसे मौत ने आ लिया तो उसका सवाब अल्लाह के ज़िम्मां पर हो गया और अल्लाह बख्शने वाला मेहरबान है (सूरतुन्निसा आयत 97 ता 100)

 जो मदीना तैयबा की हाज़री पर हुब्बुल वतन को तरजीह दें वह ज़ालिमों की तरह हैं और जो हुब्बुल वतन को खाक बोसी आसतान अर्श निशां पर तस्दीक़ करें वह उन मक़बूलों में हैं

 قُلْ كُلٌّ یَّعْمَلُ عَلٰى شَاكِلَتِهٖؕ-فَرَبُّكُمْ اَعْلَمُ بِمَنْ هُوَ اَهْدٰى سَبِیْلًا(84)

 तुम फरमाओ सब अपने कैंडे पर काम करते हैं तो तुम्हारा रब खूब जानता है कौन ज़्यादा राह पर है (अल क़ुरआन 17/84)

 वह वतन जिसकी मुहब्बत ईमान से है वतन असली है जहां से आदमी आया और जहां जाना है

 दुनिया में इस तरह रहो जैसे अजनबी हो या मुसाफिर, और हमारे लिए अल्लाह तआला काफी है और वही सबका कार साज़ है (फतावा रज़विया जिल्द 15 सफा 297 ता 298/  दावते इस्लामी)

والله تعالی اعلم بالصواب


 अज़ क़लम

फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी उतरौलवी

हिंदी ट्रांसलेट

मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)

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