नाइटी पैंट पहन कर नमाज़ पढ़ना कैसा है

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 नाइटी पैंट पहन कर नमाज़ पढ़ना कैसा है


 क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में की इमाम ने नमाज़ पढ़ाई इस हालत में कि उस ने ऊपर कुर्ता पहना हुआ था और नीचे आज कल जो रात में पहनते जिसको नाइट पैंट और टीराक पैंट भी कहा जाता है तो क्या नमाज़ हो जाएगी या नहीं जवाब इनायत फरमा कर शुक्रिया का मौक़ा दें जज़ाकल्लाह खैर

 मोहम्मद शाहबाज़ क़ादरी जिला नांदेड़ महाराष्ट्र

 नाइटी पैंट पहन कर नमाज़ पढ़ना पढ़ाना मकरुहे तंज़ीही है की यह काम काज के कपड़े हैं जबकि दूसरा मौजूद हो, जैसा कि सरकार ए आला हज़रत रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू तहरीर फरमाते हैं की वह कपड़े जिनको आदमी अपने घर में काम काज के वक़्त पहने रहता है जिन्हें मेल कुचल से बचाया नहीं जाता उन्हें पहनकर नमाज़ पढ़नी मकरुह है

 तन्वीरुल अबसार व दुर्रे मुख्तार में है

کرہ صلوتہ فی ثیاب بذلۃ (یلبسھا فی بیتہ) (ومھنۃ) ای خدمۃ ان لہ غیرھا

काम के कपड़ों में नमाज़ मकरूह है (वह कपड़े जो घर में पहनता है) और  खिदमत वाले अगर उसके पास दूसरे कपड़े हो

(درمختار باب مایفسد الصلٰوۃ ومایکرہ فیہا مطبوعہ مجتبائی دہلی ۱ ؍۹۱)

 दुरर व गुरर व शरहे वक़ाया व मजमउलअन्हर व बहरुर्राइक़ व रद्दुल मुहतार में उनकी तफसीर की

مایلبسہ فی بیتہ ولایذھب بہ الی الاکابر

जो कपड़े सिर्फ घर में पहनता हो वह पहन कर अकाबीर के हां ना जाता हो (रद्दुल मुहतार मतलब मकरुहातुस्सलात मतबूआ मुस्तफा अल बाबी मिस्र १ / ४७४)

 ग़ुनीया में उनकी तफसीर की

مالایصان ولایحفظ من الدنس ونحوہ

जिन कपड़ों को वह मैल कुचैल से महफूज़ ना रखता हो

 (غنیہ المستملی فصل کراہتیہ الصلٰوۃ مطبوعہ سہیل اکیڈمی لاہورص۳۴۹)

इसी में है

یکرہ تکمیلا لرعایۃ الادب فی الوقوف بین یدیہ تعالی بما امکن من تجمیل الظاھر والباطن وفی قولہ تعالی خذوا زینتکم عند کل مسجد اشارۃ الی ذلک وان کان المراد بھا سترالعورۃ علی ماذکرہ اھل التفسیر کما تقدم

अल्लाह तआला की बारगाह अक़द्दस में ज़ाहिरी व बातनी जमाल का हुसूल उस बारगाह के आदाब में से है और अल्लाह तआला का इरशादे गेरामी तुम हर मस्जिद में जाने के वक़्त ज़ीनत एख्तियार करो में इसी तरफ इशारा है अगर्चे इस से मुराद सत्रे औरत है जैसा कि मुफस्सरीन ने बयान किया


(غنیہ المستملی فصل کراہیۃ الصلٰوۃ مطبوعہ سہیل اکیڈمی لاہور ص۳۴۹) (بحوالہ فتاوی رضویہ جلد ۷؍ ص۳۷۸؍۳۷۹؍دعوت اسلامی)


 इस इबारत से मालूम हुआ कि उन कपड़ों में नमाज़ मकरूह तन्ज़ीही है जो काम काज के लिए हो और मैल कुचैला हो कि उन्हें पहन कर बाजार या मेहमान के घर ना जाया जाता हो और अगर नाइट पैंट नया हो या इस क़द्र हो कि उसे पहन कर बाजार या रिश्तेदार के घर जा सकते हैं तो कराहत नहीं

नोट उलमा ए किराम को चाहिए की इस तरह के लिबास पहन कर इमामत ना करें जिससे आवाम बद ज़न हों और अपने ही इमाम के खिलाफ आवाज़ उठाएं

والله تعالی اعلم بالصواب


अज़ क़लम 

 फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी अतरौलवी

हिंदी ट्रांसलेट

मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)


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