(नज़र सानी)

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(नज़र सानी)

उमदतुल मुदर्रसीन हज़रत मुफ्ती मुहम्मद मुइनुद्दीन साहब क़िब्ला दामत बरकतहुमुल आलिया सदरुल मुदर्रसीन दारुल उलूम अहले सुन्नत हशमतुल उलूम गाय डीहा

نحمدہ و نصلی علیٰ رسولہ الکریم

अम्मा बअद ! ज़ेरे नज़र रिसाला सवानेह मखदूम अशरफ रज़ि अल्लाहु अन्ह अज़ीज़म मौलाना ताज मुहम्मद क़ादरी वाहिदी सल्लमहू अल कड़वी ने पेशे मसरुफियात के सबब मुकम्मल पढ़ ना सका अलबत्ता मुतफर्रिक़ मक़ामात से देखा उम्दा रिसाला है इस से क़ब्ल भी मौसूफ के कई रिसाले देखने को मिले मौसूफ पर बेशक हुजूर सैय्यद मखदूम अशरफ व गयारह वीं सदी के मुजद्दीद मीर अब्दुल वाहिद बिलगरामी का फैज़ो करम है रज़ि अल्लाहु अन्हुमा

दुआ है मौला अज़ व जल नबी रउफुर्रहीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सदक़ा ए व तुफैल में इस रिसाला को क़ुबूल फरमाए और मौसूफ के इल्मो उमर में बरकतें अता फरमाए और यह रिसाला ज़रीआ ए निजात बनाए नीज़ दीन की खिदमत करने का जज़बा पैदा फरमाए आमीन बजाह हबीबहुल करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम

फक़्त दुआ गो

मुहम्मद मुइनुद्दीन खां कड़वी हीमपुरी

खादीम : दारुल उलूम अहले सुन्नत हशमतुल उलूम गाय डीहा उतरौला बलरामपुर (यू पी)

10 जमादिल आखिर 1435 हिजरी


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