(क्या साली से ज़िना किया तो बीवी हराम हो गई ?)

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(क्या साली से ज़िना किया तो बीवी हराम हो गई ?)

अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
सवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए दीन व मुफ्तियाने शरअ मतीन इस मसअला में कि ज़ैद की बीवी होते हुए ज़ैद ने अपनी साली से ज़िना किया तो क्या ज़ैद की बीवी ज़ैद पर हराम हो जाएगी ? मुकम्मल जवाब दे कर शुक्रिया का मौक़अ इनायत फरमाएं

साइल :  मुहम्मद अली बलरामपुर

व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : ज़िना बहुत सख्त हराम और गुनाहे कबीरा है ख्वाह साली से हो या किसी और से तौबा करना वाजिब है, ता हम साली से ज़िना की वजह से बीवी हराम ना होगी।

चुनान्चे अल्लामा अलाउद्दीन हसकफी हन्फी मुतवफ्फा 1088 हिजरी "खुलासतुल फतावा" के हवाले से लिखते हैं
" وطئ أخت امرأته لا تحرم عليه امرأته۔ "

(अद्दुर्रुल मुख्तार सफा 180)

यानी : साली से ज़िना करने की वजह से बीवी हराम नहीं होगी।

वल्लाहु आलमु बिस्सवाब

अज़ क़लम : मुहम्मद ओसामा क़ादरी (पाकिस्तान कराची)
26 रजब 1446 हिजरी मुताबिक़ 26 जनवरी 2025 ब रोज़ सोमवार

हिंदी अनुवादक : मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
20 ज़िल क़अदा 1446 हिजरी मुताबिक़ 19 मई 2025 ब रोज़ इतवार

मीन जानिब : मसाइले शरइय्या ग्रुप
[6/3, 9:33 PM] Semarbari Kushinagar: गाय, बकरी का थन खाना कैसा है ?

अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
सवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में कि गाय का थन खाना कैसा है ? जवाब इनायत फरमाइए

साइल : मुहम्मद सद्दाम अंसारी

व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : गाय बकरी का थन (यानी : खीरी) खाना बिल्कुल जायज़ व हलाल है क्यों कि यह हलाल जानवर के हराम अजज़ा में से नहीं है यानी जिन जानवरों का गोश्त खाया जाता है उन के बाईस अजज़ा हैं जिन में बाज़ हराम या ममनूअ या मकरूह हैं जैसा कि सरकार सैयदी आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान अलैहिर्रहमा फरमाते हैं : हलाल जानवर के सब अजज़ा हलाल हैं मगर बाज़ कि हराम या ममनूअ या मकरुह हैं (1) रगो का खून (2) पित्ता (3) फुकना [यानी : मसाना] (4/5) अलामाते मादा व नर (6) बैज़े [यानी : कपूरे, खुसीए] (7) गुदूद (8) हराम मगज़ (9) गर्दन के दो पठे कि शानों तक खंचे होते हैं (10) जिगर [यानी : कलेजी] (11) तिल्ली का खून (12) गोश्त का खून कि बादे ज़ब्ह गोश्त में से निकलता है (13) दिल का खून (14) पित यानी : वह ज़र्द पानी की रिस्ते में होता है (15) नाक की रतूबत कि भेड़ में अक्सर होती है (16) पाखाना का मक़ाम (17) ओझड़ी (18) आन्तें (19) नुत्फा (20) वह नुत्फा कि खून हो गया (21) वह [नुत्फा] कि गोश्त का लोथड़ा हो गया (22) वह कि [नुत्फा] पूरा जानवर बन गया और मुर्दा निकला या बे ज़ब्ह मर गया।

(फतावा रज़विया जिल्द 20 सफा 240/241)

वल्लाहु तआला व रसूलुहुल आला आलमु बिस्सवाब अज़्ज़ व जल व सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम

अज़ क़लम : सैय्यद मुहम्मद नज़ीरुल हाशमी सहरवरदी शाही दारुल क़ज़ा व आस्तान ए आलिया गौसिया सहरवरदिया दाहोद शरीफ अल हिंद
22 शव्वाल 1446 हिजरी मुताबिक़ 21 अप्रैल 2025 ब रोज़ पीर

हिंदी अनुवादक : मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
6 ज़िल हिज्जा 1446 हिजरी मुताबिक़ 3 जून 2024 ब रोज़ मंगल

मीन जानिब : मसाइले शरइय्या ग्रुप
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