दौराने नमाज़ हवा में लिखा तो क्या हुक्म है

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दौराने नमाज़ हवा में लिखा तो क्या हुक्म है

 सवाल  किसी ने दौराने नमाज़ हवा में उंगली के इशारे से चंद कलमें लिखे तो नमाज़ का क्या हुक्म है 

 जवाब  सूरते मसउला में नमाज़ मकरूहे तहरीमी हुई यानी दोबारा पढ़ना वाजिब है,

 बहारे शरीअत हिस्सा ३ सफा ६१६ में है  
 तीन कलमें इस तरह लिखना कि हुरूफ ज़ाहिर हों, नमाज़ को फासिद करता है और अगर हुरूफ ज़ाहिर ना हों, मसलन पानी पर या हवा में लिखा तो अबस है, नमाज़ मकरूहे तहरीमी हुई,

 और (عنیۃ المتملی مفسدات الصلاۃ، صفحہ ۴۴۴) में है 
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 ان کتب مالا یستبین حروفه بان کتب علی الھواء اوماء او بنحوا صبعه من غیر مداد و نحوہ علی نحو ثوب او حجر صلد لا تفسد صلاته لانہ لیس بعمل بل یکرہ لانه عبث  ھکذا اطلقه قاضی خان وغیرہ

         والله تعالی اعلم بالصواب

 मिन जानिब  ज़हनी अज़माईश उर्दू ग्रुप

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