(फेफड़ा और कलेजी खाना कैसा है ?)
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
सवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में कि तिल्ली फेफड़ा और कलेजी खाना कैसा है ?
साइल : मुहम्मद अमीन रज़ा फैज़ाबाद
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
जवाब : फतावा रज़विया में 22 चीज़ खाने की मुमानअनत आई है वह यह हैं।
(1) रगो का खून (2) पित्ता (3) फुकना [यानी : मसाना] (4/5) अलामाते मादा व नर (6) बैज़े [यानी : कपूरे, खुसीए] (7) गुदूद (8) हराम मगज़ (9) गर्दन के दो पठे कि शानों तक खंचे होते हैं (10) जिगर [यानी : कलेजी] (11) तिल्ली का खून (12) गोश्त का खून कि बादे ज़ब्ह गोश्त में से निकलता है (13) दिल का खून (14) पित यानी : वह ज़र्द पानी की रिस्ते में होता है (15) नाक की रतूबत कि भेड़ में अक्सर होती है (16) पाखाना का मक़ाम (17) ओझड़ी (18) आन्तें (19) नुत्फा (20) वह नुत्फा कि खून हो गया (21) वह [नुत्फा] कि गोश्त का लोथड़ा हो गया (22) वह कि [नुत्फा] पूरा जानवर बन गया और मुर्दा निकला या बे ज़ब्ह मर गया।(फतावा रज़विया जिल्द 20 सफा 240)
चियोंकि तिल्ली कलेजी और फेफड़ा इन 22 चीजों में नहीं है लिहाज़ा मालूम हुवा हलाल जानवर के तिल्ली फेफड़ा और कलेजी खाना बिला कराहत जायज़ है।वल्लाहु तआला आलमु बिस्सवाब
अज़ क़लम
मुहम्मद मासूम रज़ा नूरी अफी अंह
हिंदी अनुवादक
मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
20 जिल हिज्जा 1446 हिजरी मुताबिक़ 17 जून 2025 ब रोज़ मंगल
मीन जानिब
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