रोज़े की मन्नत मानी दिन गुज़र गया तो क्या हुक्म है?
सवाल क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसअला में की एक औरत ने मन्नत मानी कि मैं एक मोहर्रम से 10 मोहर्रम तक रोज़ा रखूंगी लेकिन 1 तारीख की उसको ख़बर ना हुई अब ऐसी सूरत में क्या हुक्म है मअ हवाला जवाब तहरीर फरमा दें अगर्चे मुख्तसर हो
साईल अब्दुल्लाह क़ादरी
जवाब: अगर औरत को एक मोहर्रम मालूम ना हो सका जिस की वजह से वह रोज़ा ना रख सकी तो वह 9 रोज़ा रखे और बाद में एक रोज़ा की क़ज़ा कर ले अल्लामा इब्न आब्दीन शामी तहरीर फरमाते हैं
ان المعلق یتعین فیہ الزمان بالنظر الی التعجیل اما تاخیرہ فظاھر انہ جائز اذ لا محذور فیہ
(रद्दुल मुहतार जिल्द 3 सफा 71) (अल माखूज़ फतावा अलीमीया जिल्द 2 सफा 220)
والله تعالی اعلم بالصواب
अज़ क़लम
मोहम्मद इमरान क़ादरी
हिन्दी ट्रान्सलेट
मौलाना रिजवानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी