(काफिर का झूठा पाक है या ना पाक ?)

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 (काफिर का झूठा  पाक है या ना पाक ?)

अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि बरकातूह
सवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए दीन मुफ्तियाने शरअ मतीन इस मसअला में कि ज़ैद कहता है कि काफिर का झूटा पाक है, बकर कहता है कि काफिर का झूटा नापाक है, उमर कहता है कि काफिर का झूटा नापाक है या पाक, हम नहीं कह सकते हैं, इस बारे में जवाब शरीअते मुतह्हरा की रौशनी में अता फरमा कर शुक्रिया का मौक़अ इनायत फरमाएं

साइल : फक़ीर क़ादरी मुहम्मद समीर रज़वी, ईस नगर यूपी
व अलैकुम अस्सलाम व रहमतुल्लाहि बरकातूह

जवाब : ज़ैद का कहना दुरुस्त है कि काफिर का झूटा पाक है, चुनान्चे अल्लामा मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह तमर ताशी हन्फी मुतवफ्फा 1004 हिजरी और  अल्लामा अलाउद्दीन हसकफी हन्फी मुतवफ्फा 1088 हिजरी लिखते हैं : (سؤر آدمي مطلقا) ولو جنبا أو كافرا (طاهر)۔
(तनवीरुल अबसार व शरह दुर्रे मुख्तार सफा 35)
यानी : आदमी का झूटा मुतलक़न पाक है चाहे जुंबी हो या काफिर हो ।

और अल्लामा निज़ामुद्दीन हन्फी मुतवफ्फा 1092 हिजरी और उलमा ए हिंद की एक जमाअत ने लिखा है : 
سؤر الآدمي طاهر ويدخل في هذا الجنب والحائض والنفساء والكافر۔
(अल फतावा हिंदिया 1/23)

यानी : आदमी का झूटा पाक है और इस हुक्म में जुंबी, हैज़ व निफास वाली औरत और काफीर शामिल है।
मगर काफिर के झूटे से बचना चाहिए जैसे थूक, रिंठ (नाक की रतूबत) खंखार के पाक हैं मगर इन से आदमी घिन करता है इस से बहुत बद तर काफिर के झूटे को समझना चाहिए, जैसा की सदरुश्शरीआ मुहम्मद अमजद अली आज़मी हन्फी मुतवफ्फा 1367 हिजरी ने बहारे शरीअत जिल्द 1 हिस्सा 2 सफा 321 पर लिखा है।वल्लाहु आलमु बिस्सवाब

अज़ क़लम 
 मुहम्मद ओसामा क़ादरी (पाकिस्तान कराची)
23 रजब 1446 हिजरी मुताबिक़ 24 जनवरी 2025 ब रोज़ जुमआ
हिंदी अनुवादक 
 मुहम्मद रिज़वानुल क़ादरी अशरफी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
मुक़ीम : पुणे महाराष्ट्र
20 ज़िल क़अदा 1446 हिजरी मुताबिक़ 18 मई 2025 ब रोज़ इतवार
मीन जानिब 
 मसाइले शरइय्या ग्रुप
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