फरिश्तों की तादाद कितनी है

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फरिश्तों की तादाद कितनी है ?

सवाल : क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम की फरिश्तों की तादाद कितनी है ?

साईल : अब्दुल्लाह

जवाब : फरिश्तों की ठीक तादाद अल्लाह  को मालूम है और इरशाद ए रब्बानी है

وَمَا یَعْلَمُ جُنُوْدَ رَبِّکَ اِلَّا ھُوَ 

और तुम्हारे रब के लश्करों को उसके सिवा कोई नहीं जानता,सूरह मुदस्सिर 31)

और अल्लाह  के बताने से प्यारे मुस्तफा  जानते हैं कुत्बे अहादीस में है

(۱) عَنْ أَبِی ہُرَیْرَۃَ أَنَّ رَسُولَ اللَّہِ صَلَّی اللَّہُ عَلَیْہِ وَسَلَّمَ قَالَ فِی لَیْلَۃِ الْقَدْرِ إِنَّہَا لَیْلَۃُ سَابِعَۃٍ أَوْ تَاسِعَۃٍ وَعِشْرِینَ إِنَّ الْمَلَائِکَۃَ تِلْکَ اللَّیْلَۃَ فِی الْأَرْضِ أَکْثَرُ مِنْ عَدَدِ الْحَصَی‘

हज़रत अबू हुरैरा रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू से मरवी है की नबी करीम  ने शबे क़द्र के मुतअलिक़ फरमाया कि यह 27 वीं या 29 वीं शब होती है और इस रात में ज़मीन पर आने वाले फरिश्तों की तादाद कन्कड़ियों की तादाद से भी ज़्यादा होती है(मुसनदे अहमद हदीस न.10316)


(۲) عَنْ عَبْدِ اللَّہِ قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّہِ صَلَّی اللَّہُ عَلَیْہِ وَسَلَّمَ یُؤْتَی بِجَہَنَّمَ یَوْمَئِذٍ لَہَا سَبْعُونَ أَلْفَ زِمَامٍ مَعَ کُلِّ زِمَامٍ سَبْعُونَ أَلْفَ مَلَکٍ یَجُرُّونَہَا ‘

हज़रत अब्दुल्लाह रज़ि अल्लाहू तआला अन्हू से रिवायत है कि रसूलूल्लाह  ने इरशाद फरमाया जहन्नम को लाया जाएगा उस दिन जहन्नम की सत्तर हज़ार (७००००) लगामें होंगी और हर एक लगाम को ७०००० फरिश्ते पकड़े हुए खींच रहे होंगे(मुललिम 7164)

(۳) عن نبیہۃ بن وہب أن کعبا دخل علی عائشۃ فذکروا رسول اللہ صلی اللہ علیہ و سلم فقال کعب: ما من یوم یطلع إلا نزل سبعون ألفا من الملائکۃ حتی یحفوا بقبر رسول اللہ صلی اللہ علیہ و سلم یضربون بأجنحتہم ویصلون علی رسول اللہ صلی اللہ علیہ و سلم حتی إذا أمسوا عرجوا وہبط مثلہم فصنعوا مثل ذلک حتی إذا انشقت عنہ الأرض خرج فی سبعین ألفا من الملائکۃ یزفونہ. رواہ الدارمی‘‘

हज़रत नबीया इब्न वहब रज़ि अल्लाहू अन्हू (ताबई) बयान करते हैं कि (१ दिन) हज़रत कअब अहबार रज़ि अल्लाहू अन्हू उम्मूल मोमिनीन हज़रत आईशा सिद्दीक़ा रज़ि अल्लाहू अन्हा की खिदमत में हाज़िर हुए और जब उस मजलिस में रसूल करीम  की बाज़ सिफात व खुसूसियत या आप  के विसाल के हालात का ज़िक्र हुआ तो उन्होंने कहा कोई दिन ऐसा नहीं गुज़रता की तूलूअ फजर से ही ७०००० फरिश्ते आसमान से उतरते हैं और वह फरिश्ते रसूल करीम  की क़ब्र शरीफ को घेर लेते हैं और (क़ब्र के ऊपर से गर्द व गुबार साफ करने के लिए या अनवार ए क़ब्र से बरकत हासिल करने के लिए) अपने पैरों को क़ब्र शरीफ पर मारते हैं और रसूल करीम  पर दुरूद पढ़ते रहते हैं यहां तक कि जब शाम होती है तो वह फरिश्ते आसमान पर चले जाते हैं और (उन्हीं की तरह ७००००) दूसरे फरिश्ते उतरते हैं, जो उन (दिन वाले फरिश्तों) की तरह सुब्ह तक यही करते हैं (यानी क़ब्रे शरीफ को घेर लेते हैं और उस पर अपने पर मारते हैं और दुरूद पढ़ते रहते हैं) यह सिलसिला (यानी हर रोज़ सुब्ह शाम इस तरह ७०००० फरिश्तों का उतरना) उस वक़्त तक जारी रहेगा जब कि (क़यामत के दिन सूर फुंका जाएगा) और क़ब्र शरीफ शक होगी और आप  क़ब्र से उठेंगे और ७०००० फरिश्ते (अपने जुलूस में लेकर) महबूब को हबीब तक पहुंचाएं(मिशकात 5885)

(४) हज़रत मालिक बिन सअसअह रज़ि अल्लाहू अन्हू से रिवायत है कि नबी करीम  ने फरमाया कि मेराज की शब सातवें आसमान पर मुझे बैतूल मामूर दिखाया गया मैंने जिब्रील अलैहिस्सलाम से उसके बारे में पूछा तो उन्होंने बतलाया कि यह बैतूल मामूर है, इसमें ७०००० फरिश्ते रोज़ाना नमाज़ पढ़ते हैं, और एक मर्तबा पढ़कर जो इस से निकल जाता है तो फिर कभी दाखिल नहीं होता,(बुखारी 3207)


(५) हज़रत अबू हुरैरा रज़ि अल्लाहू अन्हू से रिवायत है कि हुजूर  ने फरमाया कि अल्लाह तआला ने मलाइका व जिन्नात और इंसानों को पैदा करके उनके दस (१०) हिस्से किए जिनमें नौ (९) हिस्से फरिश्ते और एक हिस्सा जिन्नात व इंसान फिर उस एक हिस्से के १० हिस्से किए जिनमें ९ हिस्से जिन्नात व शयातीन और एक हिस्सा इंसान फिर एक हिस्सा इंसान के २५ हिस्से किए जिनमें २४ हिस्से काफिर और एक हिस्सा मुसलमान फिर एक हिस्सा मुसलमान को ७३ हिस्सों पर तक़्सीम किया जिनमें एक हिस्सा जन्नती और ७२ हिस्सा दोज़खी हैं(फसान ए आदम)

(۶) عَنْ أَبِی ذَرٍّ، قَالَ قَالَ رَسُولُ اللَّہِ صَلَّی اللَّہُ عَلَیْہِ وَسَلَّمَ  إِنِّی أَرَی مَا لَا تَرَوْنَ، وَأَسْمَعُ مَا لَا تَسْمَعُونَ، أَطَتِ السَّمَائُ وَحُقَّ لَہَا أَنْ تَئِطَّ مَا فِیہَا مَوْضِعُ أَرْبَعِ أَصَابِعَ إِلَّا وَمَلَکٌ وَاضِعٌ جَبْہَتَہُ سَاجِدًا لِلَّہ‘‘

अबूज़र रज़ि अल्लाहू अन्हू कहते हैं कि रसूलूल्लाह  ने फरमाया बेशक मैं वह चीज़ देख रहा हूं जो तुम नहीं देखते और वह सुन रहा हूं जो तुम नहीं सुनते, बेशक आसमान चर चरा रहा है और उसे चर चराने का हक़ भी है, इसलिए कि उसमें चार अंगुल की भी जगह नहीं खाली है मगर कोई ना कोई फरिश्ता अपनी परेशानी अल्लाह  के हुजूर रखे हुए हैं(तिर्मिज़ी 2312)

इन तमाम अहादीसे तैय्यबा से आप खुद अंदाजा लगा ले कि फरिश्तों की तादाद कितनी है और इंसानों के मुक़ाबले में फरिश्तों की तादाद कितनी ज़ाएद है और यह सिलसिला ता क़यामत रहेगा यानी जिस तरह इंसान की पैदाइश का सिलसिला जारी है यूं ही फरिश्ते ब हुक्मे किब्रिया पैदा होते रहते हैं

जैसा की हदीस शरीफ में है कि अर्श की दाहिनी तरफ नूर की एक नहर है और वह नहर सातवें आसमान और सातों ज़मिन और सातों समंदर के बराबर है इसमें हर सुब्ह हज़रत ए जिब्राइल अलैहिस्सलाम नहाते हैं जिससे उनके नूर पर नूर और जमाल पर जमाल बढ़ता है, फिर जब पर झाड़ते हैं तो जो बुंद गिरती हैं अल्लाह ﷻ उस से उतने ही हजार फरिश्ते बनाता है,

दूसरी हदीस में है कि चौथे आसमान में एक नूर की नहर है जिसे नहरे हयात कहते हैं उसमें हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम हर रोज़ नहा कर अपने पर झाड़ते हैं जिस से ७०००० क़तरे झड़ते हैं और अल्लाह तआला हर क़तरे से एक एक फरिश्ता पैदा करता है(मवाहिबुल्लदुन्या पाठ 2 पेज़ 26)

 अज़ क़लम

फक़ीर ताज मोहम्मद हन्फी क़ादरी वाहिदी उतरौलवी

हिंदी ट्रांसलेट

मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)

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