(हज़रत सअद बिन अबी वक़ास 02)
एक ख़ारजी की हलाकत
एक गुस्ताख़ ने हज़रत अली को गाली दी। हज़रत सअद बिन अबी वकास यह सुन कर रन्ज व गम में डूब गए और जोश में आ कर यह बद दुआ कर दी कि "या अल्लाह ! अगर यह तेरे औलिया में से एक वली को गालियाँ दे रहा है तो उस मजलिस के खत्म होने से पहले ही उस शख्स को अपना कहर व ग़ज़ब दिखा दे।"आप की ज़बाने अक्दस से इस दुआ का निकलना था कि उस मर्दूद का घोड़ा बिदक गया और वह पत्थरों के ढेर में मुंह के बल गिर पड़ा और उस का सर टुकड़े टुकड़े हो गया। जिस से वह हलाक हो गया। (हुज्जतुल्लाह अललआलमीन जि 2, स 866 बहावाला हाकिम) तबसेराः हज़रत सअद बिन अबी वकास की ऊपर ब्यान की गई इन पांच करामतों से हम को दो सबक मिलते हैं।
पहलाः खुदा के प्यारे अंबिया व सिद्दीकीन और शुहदा-ए-किराम व सालेहीन की शान में अदना दर्जे की बद दुआएं बहुत ही खतरनाक और हलाकत वाली हैं। उन बुजुर्गों की बद दुआ और फटकार और उन की शान में गुस्ताखी और बे अदबी कहरे इलाही का सिगनल है। उन खुदा के मुकद्दस और महबूब बन्दों की ज़रा सी भी वे अदवी को खुदावन्दे कुद्दूस की शाने कहहारी व जब्बारी मआफ् नहीं फमाती। बल्कि ज़रूर उन गुस्ताख़ों को दोनों जहाँ के अज़ाब में गिरफ्तार कर देती है। दुसराः यह कि अल्लाह तआला के प्यारे बन्दों, उलमा ओलिया और तमाम सालेहीन की बद दुआएं बहुत ही खतरनाक और हलाकत आफ्रीं बलाएं हैं। उन बुजुर्गों की बद दुआ और फटकार वह तलवार है जिस की कोई ढाल नहीं और यह तबाही व बरबादी का वह ज़हरीला तीर है जिस का निशाना कभी गलती नहीं करता। इसलिए हर मुसलमान पर ज़रूरी है कि ज़िन्दगी भर हर कदम पर यह ध्यान रखे कि कभी भी अल्लाह तआला के नेक बन्दों की शान में ज़र्रा भर भी बे अदबी न होने पाए और बुजुर्गाने दीन में से किसी की भी बद दुआ न ले बल्कि हमेशा इस कोशिश में लगा रहे कि खुदा के नेक बन्दों की दुआएं मिलती रहें। क्योंकि नेक बन्दों की बद दुआएं बरबादी का खौफनाक सिगनल और उन की दुआएं आबादी का मीठा फल हैं।(करामाते सहाबा हिंदी पेज 94/95)
उम्र दराज़(लम्बी)हो गई
एक शख़्स निहायत ही ख़तरनाक और जान लेवा बीमारी में मुबतला होकर अपनी ज़िन्दगी से ना उम्मीद हो चुका था। वह हज़रत सअद बिन अबी वक़ास की ख़िदमत अक़्दस में हाज़िर होगया और रो रो कर फरियाद करने लगा ऐ सहाबीए रसूल मेरे बच्चे अभी बहुत ही छोटे छोटे हैं। मेरे मरने के बाद उन की परवरिश करने वाला मुझे कोई नज़र नही आता, इसलिए आप यह दुआ कर दीजिए कि उन बच्चों के बालिग़ होने तक ज़िन्दा रहूँ। आप को उस मरीज़ के हाले ज़ार पर रहम आगया और आप ने उस की तन्दुरूस्ती और सलामती के लिए दुआ कर दी, तो वह शख़्स शिफ़ायाब होगया और बीस बरस तक ज़िन्दा रहा, हालाँकि किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि वह इस बीमारी से बच कर ज़िन्दां रह सके गा। (हुज्जतुल्लाह अललआलमीन जि2, स866 बहवाला बैहक़ी)
तबसेराः
हज़रत सअद बिन अबी वक़ास की इन करामतों में आप ने उन की बद दुआओं का नतीजा भी देख लिया और उन की दुआओं का जलवा भी देख लिया, इस लिए उस से सबक़ हासिल कीजिए और हमेशा अल्लाह वालों की बद दुआओं से बचते रहिए। और उन बुजुर्गों से हमेशा नेक दुआओं की भीक मांगते रहिइए। अगर आप का यह अमल रहा, तो इन्शाअल्लाह तआला ज़िन्दगी भर आप सआदत और ख़ुश बख़्ती के बादशाह बने रहेंगे। वल्लाहु तआला आलम
पेश करदा
मोहम्मद सदरे आलम निज़ामी मिस्बाही
ख़तीब व इमाम गुर्जी अली बेग मस्जिद
नया पुरवा फैज़ाबाद अयोध्या