(जल्वए आला हज़रत 15)
➲ तशक्कुर व इम्तिनान : नबीर - ए - आला हज़रत शहजाद - ए - रेहाने मिल्लत हजरत अल्हाज कारी मुहम्मद तस्लीम रज़ा खाँ साहब नूरी मद्दा जिल्लहुल - आली की बारगाह में हम तशक्कुर व इम्तिनान का खिराजे तहसीन पेश करते हैं कि उन्हीं के ईमा व इशारे पर “ फैजाने आला हजरत तरतीब दी गई और उनके मुसलसल इसरार व तकाजे की बुनियाद पर सिर्फ पाँच महीने की कलील मुद्दत में इसकी तकमील अमल में आई फिर उन्होंने अपना काइम करदा इदारा " इमाम अहमद रजा लाइब्रेरी रज़ा नगर सौदाग्रान बरैली शरीफ की जानिब से इसकी तबाअत व इशाअत का बारेगिराँ उठाया इसके लिए हम मजीद उनकी बारगाहे रफ़ी में हदिय - ए - तशक्कुर पेश करते हैं।
➲ बरैली शरीफ अहले सुन्नत व जमाअत का अज़ीम मरकज़ है जहाँ पर हमा औकात तिशनगाने उलूमे नब्बीया का हुजूम व मेला लगा रहता है और कुछ लोग तो सिर्फ तसानीफे रजा की ज़्यारत व दीदार ही करना चाहते हैं , इस लाइब्रेरी का एक फाइदा यही होगा कि मुतमन्नी और शाइक लोग तसानीफे रज़ा की नज़र भर ज़्यारत कर सकेंगे और इल्मी इस्तिफादा करने वाले उन से बआसानी इस्तिफादा करके अपनी इल्मी प्यास बुझायेंगे। और यह कि आल हज़रत के शहर में अगर आला हज़रत इमाम अहमद रजा बरेलवी कुदेसा सिरहू की तसानीफ से तिशनगी जाइल व दूर न होगी तो कहाँ दूर होगी। मुझे यकीन है कि ' इमाम अहमद रज़ा लाइब्रेरी अहले जौक को सामाने तस्कीन व तसल्ली फराहम करेगी और उसकी हरकत व बरकत से अहले शौक की तलाश व जुस्तजू को मंज़िले मक्सूद मिलेगी।..
(बा-हवाला, फैज़ाने आला हजरत सफ़ह-54)
मौलाना अब्दुल लतीफ नईमी रज़वी क़ादरी
बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ (सीमांचल)